सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े जनपद कुशीनगर के हाटा क्षेत्र में तीन दशक पूर्व उच्च शिक्षा की समस्या अभिशाप के रूप में रही है। उच्च शिक्षा की कल्पना करने का साहस जुटा पाना कठिन था। फिर भी विकास के किरण के प्रसार के साथ कुछ कर्मठ लोगों के मन में उच्च शिक्षा के प्रसार का न केवल भाव जागृत हुआ, बल्कि उन्होनें इसे संकल्प और चुनौती के रूप में स्वीकार किया। एवं उन्हे संघर्षमय प्रयासों का नेतृत्व जिन हार्थों ने सभाला वह था, स्थानीय हाटा क्षेत्र के प्रखर समाज सेवी एवं शिक्षाविद् श्री अम्बिका सिंह जी का हाथ उनकी अहर्निश-चिन्ता का केन्द्र बिन्दु इस क्षेत्र मे उच्च शिक्षा के प्रसार हेतु एक स्तरीय महाविद्यालय...
हम अपने विद्यार्थियों के प्रति तत्पर, विनम्र एवं संवेदनशील रहेंगे। हम युवा भारत की भाषा बोलेंगे और संवेदनशील बने रहेंगे। हम शिक्षा का वह स्तर बनायेंगे, जो हमारे विद्यार्थियों के सपनों को पूरा कर सके। उत्कृष्टता प्राप्ति के अत्याधुनिक प्रोद्यौगिकी अपनायेंगे।
विद्यार्थी के व्यक्तित्व का बहुआयामी विकास सुनिश्चित करते हुए उसे लक्ष्य तक पहुंचने हेतु काबिल बनाना तथा उसके अन्तर्मन में मानवीय गुणों को विकसित करना।
बौद्धिक, नैतिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ और प्रतिबद्ध नागरिकों का एक वर्ग बनाना जो उच्च क्षमता के मानव संसाधन बनेंगे।